मंगलवार, 15 सितंबर 2015

इन तरीकों को अपना कर बच सकते हैं हैकर्स से

इंटरनेट हमारी रोजमर्रा की जिंदगी का अहम हिस्सा बन चुका है। सर्च से लेकर पेमेंट जैसे अधिकांश काम हम इंटरनेट से ही कर रहे हैं। ऑनलाइन होती जिंदगी के बीच हैकर्स का खतरा भी तेजी से बढ़रहा है।

हमारी जानकारी, डेटा और बैंकिंग डिटेल्स पर इन ऑनलाइन चोरों (हैकर्स) की नजर बनी रहती है।कुछ सामान्य की जानकारियों और सावधानियों से आप हैकर्स से खुद को और अपनी जानकारियों को बचा सकते हैं।

आइए जानते हैं, इन काम की बातों को:

                       स्पूफ मेल्सईमेल का उपयोग अब काफी सामान्य सी बात होती जा रही है। दुनिया में ईमेल पर स्पैम तथा भ्रमित करने वाले ईमेल्स के जरिए बहुतायत में धोखाधड़ी के मामले में होते हैं। कभी लॉटरी जीतने के नाम पर तो कभी बैंक के नकली ईमेलर या फिर लालच देने वाले ईमेल्स के जरिए ठगी और हैकिंग को अंजाम दिया जाता है।

कई बार वायरस या फिर स्पायवेयर अटैचमेंट वाले ईमेल्स से भी नुकसान पहुंचाया जाता है।यदि आप इससे बचना चाहते हैं तो कभी भी अनजान ईमेल्स को न तो ओपन करें और न ही इसमें से कुछभी डाउनलोड करें।

फर्जी वेबसाइट्स और ऐप्स

              यदि आप किसी फर्जी वेबसाइट या ऐप का उपयोग करेंगे, तो नुकसान होना तय है। यूं तो सबसे ज्यादा फर्जी वेबसाइट बैंकों की ही बनाई जाती है।

इनको पहचानने का सबसे आसान तरीका है एड्रेड बार में इनका नाम देखना। एक बात और ध्यान रखें कि फर्जी वेबसाइट सबसे पहले आपसे आपका username and password एंटर करने के लिए कहती हैं। ताकि आपकी जानकारियों का उपयोग हैकर्स कर सकें।

बैंक की असली वेबसाइट का वेब एड्रेस https सेशुरू होता है जबकि फर्जी वेबसाइट का नहीं। इसका मतलब है कि https एड्रेस वाली वेबसाइट सिक्योर सर्टिफिकेट का उपयोग कर रही है।

इसी तरह से ऐप की असलियत का पता लगाने के लिए हमेशा डवलपर का नाम जरूर जांच लें। हर ऐप के साथ उसे बनाने वाले डवलपर की जानकारी दी जाती है। इसके अलावा ऐसे ऐप्स का रिव्यू भी पढ़िए। बैंकिंग संबंधी ऐप्स को हमेशा बैंकिंग वेबसाइट से ही डाउनलोड करें।

भ्रमित करने वाले विज्ञापनों से बचें

                  अलग-अलग वेबसाइट्स और वेब पेजेस पर ढेरों विज्ञापन दिखते हैं। कुछ विज्ञापन प्रायोजित होते हैं तो कुछ भ्रमित करने के उद्देश्य से पोस्ट किए जाते हैं। यदि आपको ऐसे विज्ञापन दिखाई दें, जो किसी भी उत्पाद की कीमत अत्यधिक कम बता रहे हों तो सावधान रहिएगा। इस तरह के विज्ञापन भ्रामक, गलत जानकारी देने वाले या फिर ठगने के लिए भी हो सकते हैं।

कई बार तो ऐसे विज्ञापनों के जरिए घोटालों को भी अंजाम दिया जाता है। की लॉगर्स की लॉगर ऐसा सॉफ्टवेयर है, जो कम्प्यूटर पर कीबोर्ड से की जाने वाली हर जानकारी का रिकॉर्ड रखता है। इस सॉफ्टवेयर से यूजरनेम, पासवर्ड और ऐसी जानकारियां चुराई जा सकती हैं, जिन्हें आप कीबोर्ड से एंटर करते हैं।

इसलिए कभी भी किसी सार्वजनिक कम्प्यूटर यानी नेटवर्किंग पीसी, साइबर कैफे या फिर सार्वजनिक वाइफाई का इस्तेमाल करते समय अपनी गोपनीय जानकारियों का उपयोग करने से बचें। मसलन सार्वजनिक कम्प्यूटर या नेटवर्कपर बैंकिंग डिटेल, ईमेल आईडी जैसी महत्वपूर्ण सूचनाओं को एंटर न करें।

बैंकिंग वेबसाइट का उपयोग करते समय वर्चुअल कीबोर्ड उपयोग करिए। यदि आप विंडोज ऑपरेटिंग सिस्टम का उपयोग करते हैं तो यूजरनेम व पासवर्ड टाइप करने के लिए ऑनस्क्रीन कीबोर्ड का उपयोग करें।

विंडोज 8 यूजर्स ऑनस्क्रीन कीबोर्ड को ऐसे उपयोग कर सकते हैं:

स्टार्ट मेनु > ऑल प्रोग्राम्स > ऐससरीज > ईज ऑफ एक्सेस > ऑनस्क्रीन कीबोर्ड

फोन पर क्रेडिट कार्ड की डिटेल

             सभी बैंक अपने ग्राहकों को विज्ञापन के जरिएयह बताते रहते हैं कि खातों की सुरक्षा के लिए क्या किया जाए और क्या नहीं। साथ ही यह भी बताते हैं कि बैंक कभी भी अपने ग्राहकों से फोन पर क्रेडिट कार्ड की जानकारी नहीं मांगता है।

यदि आपके पास इस तरह का कोई फोन आता है तो उसे नजरअंदाज करना चाहिए। नेटबैंकिंग, खाता, कस्टमर आईडी और डेबिट अथवाक्रेडिट कार्ड की जानकारी कभी भी फोन पर नहीं देना चाहिए।

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