आज की भागती-दौड़ती जिंदगी हर कोई आराम की चाह में लगा हुआ है। हर आदमी आज के शहरी जीवन में घर बैठे ही सब कुछ के चाह में रहता है। इसी को देखते हुए सॉफ्टवेयर कंपनियां हर रोज नए-नए एप लॉंच करती रही है। लेकिन कभी आपने सोचा है कि इन एपों की वजह से कितने लोग बेरोजगार होते जा रहे हैं। उत्पाद बेचने वाली कंपनियां मोटा मुनाफा कमाने में लगी हुईं हैं लेकिन लोगों को इसके जरिए वो आलसी भी बनाती जा रही है और हमारी गली के नीचे वाले दुकानदार भईया की पेट पर लात मारने पर मजबूर कर रही है।
इतना ही नहीं अब तो घर से बाहर निकले बिना ही लोग अपने मोबाईल के जरिए घर बैठे ही ऑटो या टैक्सी कर लेते हैं। जिसके कारण उन तमाम ऑटो ड्राइवरों के सामने अपना घर चलाने की चुनौती का सामना करना पड़ रहा है जो इन विदेशी कंपनिओं के एप से नहीं जुड़े हैं।
भारत में मोबाईल ऐप से आम लोगों को जितना फायदा पहुंच रहा है उतना ही नुकसान बिना एप के चलने वाले ऑटो ड्राइवर्स को भी हो रहा है। मोबाईल ऐप के जरिए लोग अपनी सुविधानुसार सिर्फ एक क्लिक में कहीं भी जाने के लिए ऑटो कैब बुक कर लेते है। जिसके चलते इसका सीधा नुकसान ऑटो ड्राइवर्स को झेलना पड़ता है। क्योंकि यदि इसी तरह से लोग घर बैठे एप के जरिए ऑटो बुक कर लेंगे तो बाकी ऑटो वालों की कमाई पर इसका असर पड़ेगा।
छिन रहा है लोगों का रोजगार
किराने की दुकान पर समान बेचने वाला दुकानदार विक्रेता के घर जब सामान पहुंचाता है तो इसके साथ ही उसकी अलग से कमाई भी हो जाती है। लेकिन वहीं दूसरी तरफ ज्यादातर लोग घर बैठे सिर्फ एक क्लिक में ऐप का यूज करके जो भी चाहिए होता है घर पर ही मंगवा लेते है। जिसका सीधा फायदा विदेशी कंपनी को पहुंचता है।
मोबाईल एप के जितने फायदे है उसके साथ ही इसके नुकसान भी है। कभी तो ऐसा हो जाता है कि उपभोक्ता ऑनलाइन ऐप के जरिए कोई मोबाइल फोन मंगवाता है तो उसकी जगह ईट-पत्थर भी निकल जाते है। ऐप के जरिए सेवाएं तो बढ़ती है पर हमारी चीजों को परखने की क्षमता कहीं न कहीं धीरे-धीरे कम भी होती जा रही है। आपको बता दें कि मोबाइल एप की सेवाएं लोगों के दिलोदिमाग पर इस तरह हावी हो चुकी है कि वह छोटी-मोटी दुकानों पर से भी समान लेना पसंद नहीं करते। कहीं न कहीं इन ऐप सेवाएं के लिए हम भी जिम्मेदार है।
हरिभूमि से............
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